Thursday, November 14, 2024
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एक दास्तां अधूरी 

“वो जा रहा था, मैं उसे रोक भी नहीं सकती थी”मेरी एक आवाज तीन जिंदगियां बर्बाद कर देती.

एक तो वो जिसे कुछ पता नहीं था..दो हम जो सब कुछ जानते थे.

 “क्या करूं” बुद्धि जड़ हो गई थी पैर कांप रहे थे..आवाज जैसे गले में फंस गई थी.. निकल ही नहीं रही थी,

hamari daastaan adhuri reh gayi thi.

daastaan

 दिल जरूर काबू मे नहीं था.. पर दिमाग पूरे होशो हवास में था..mn soch rha tha kya hai anjam is daastaan ka.

 “राज”जिसकी आवाज बार-बार कानों में गूंज रही थी.. सिर्फ एक बार मुझसे हां कह दो, यकीन मानो सब कुछ, सब कुछ छोड़ दूंगा मैं तुम्हारे लिए.

 “मैंने तुम्हें सब कुछ बता दिया है मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं, समझ में नहीं आ रहा है कि विश्वास तुम्हें दिलाऊ कैसे

 बोलो कुछ तो बोलो तुम कुछ बोलती क्यों नहीं.

  “राज”बहुत धीमी आवाज में बोली थी वह.….

  “हां बोलो कुछ तो बोलो मैं सब कुछ सुनने को तैयार हूं”, “तुम्हें  ही सुनने आया हूं कैसे विश्वास दिलाऊ मुझे सच में कुछ पता नहीं था.”

  मां की बीमारी के बहाने मुझे बुला लिया था जब मैं घर पहुंचा मुझे कुछ बिना बताए ही शादी की तैयारियां हो रही थी..मैंने पूछा क्या है ये तब भैया ने हंसकर कहा-तेरी शादी की तैयारी है कल तेरी बारात जाएगी.

  “क्या मुझे बिना बताए “वह आश्चर्य से बोला था”.

तुम्हें, तुम्हें क्यों बताते बड़ी दीदी बोली थी-हमारे खानदान मे आज तक बिना किसी से पूछे ही शादियां हुई है..

दोनों भाई भी बीच में बोल पड़े-हां तेरी भाभियों की शक्ल भी तो हमने नहीं देखी थी फिर भी हमने शादी की. और आज हम सब खुश हैं.. पिताजी ने हमारे लिए सब अच्छा ही किया है..

” भैया वो जमाना और था”. वह बोला….

 जमाना भले ही और हो हम तो सब वही है ना..

  “कहिए ना कि सब मजाक कर रहें हैं” राज  ने सब को देखकर पूछा 

  नहीं बेटा यह हकीकत है कल तेरी शादी कामिनी से हो रही है.. और यह सच है

तो मैं ये शादी नहीं कर सकता.. 

“क्यों नहीं कर सकता.” पिताजी जो कमरे में दरवाजे पर खड़े होकर सब की बातें सुन रहे थे.

बोले-कहना क्या चाहता है तू..

“मैं किसी और को चाहता हूं” राज बोला था

 “तडाक” से गाल पे उन्होंने ने थप्पड़ रसीद कर दिया था पिताजी ने.. और बुलाकर कहा तू क्या चाहता से, हमें कोई मतलब नहीं है इस घर में वही होगा जो मैं चाहूंगा..

 पर पिता जी मैं यह शादी नहीं कर सकता एक बार आप मुझसे पूछ तो लेते..

 तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई तेरी दोनों भाइयों की तेरी दोनों बहनों की तो हिम्मत आज तक नहीं हुई मुझसे कुछ कहने की.. फिर तूने इतनी हिम्मत कैसे कर ली.. पिताजी का चेहरा तमतमा गया था.. इसलिए तुझे मैंने दूसरे शहर में पढ़ने के लिए भेजा था.

  “पर पिताजी” मिमिया गया राज..

  “ले जाओ इसे मेरे सामने से” उनका शरीर गुस्से से थरथर कांप रहा था.. क्योंकि आज तक कोई बच्चे ने उनके सामने जवान खोलकर कुछ नहीं कहा था और राज ये सब बोले चला जा रहा था दोनों बेटे बेटी उन्हें देख रहे थे.. सभी जानते थे कि इस घर में सिर्फ पिताजी की सुनी जाती है यहां वही होता है जो वह चाहते हैं.

  आखिर पिता थे बच्चों के लिए सब अच्छा ही किया था. राज पांचो भाई बहन में सबसे छोटा था.. इसलिए पिताजी चाहते थे कि उसकी शादी भी उन्हीं के अनुसार हो बिरादरी में हो और धूमधाम से हो..

  पूरे समाज में उनकी इज्जत थी उनके आन बान शान का डंका पूरे गांव में बजता था. आज तक किसी बच्चे ने उनसे आंख मिलाकर बात नहीं की थी और वह  बोले चला जा रहा था.

  राज की बहुत कोशिश के बाद भी शादी नहीं रुकी उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया और शादी तक के लिए पहरा लगा दिया गया. और उसकी शादी हो गई कामिनी  के साथ.

  राज के दिमाग में कामिनी दूर-दूर तक नहीं थी इसलिए उसने उससे ज्यादा बात भी नहीं की.. वह तो बस शहर जाने के लिए परेशान हो रहा था.

  सातवें दिन कामिनी पहली विदा पर अपने मायके जा चुकी थी. सब अपने-अपने में व्यस्त थे.. वह किसी प्रकार झूठ बोलकर शहर वापस आ गया.

  सबसे पहले वह कनक से मिलना चाहता था..उसने फैसला कर लिया था कि वह उसे सब कुछ बता देगा..वह उससे कुछ भी नहीं छिपाएगा,क्योंकि वह उसे दिलो जान से चाहता था, उसने कनक से शादी का वादा किया था.

daastaan

 कनक ने उससे कभी कोई वादा नहीं लिया था.. उसने खुद यह  वादा किया था कि वह उसे नहीं छोड़ेगा बस एक अच्छी जॉब मिल जाए.

 पर क्या सोचा था क्या हो गया..सुनकर क्या कहेगी वह विश्वास उठ जाएगा उसका प्यार और विश्वास से, कितना चाहती थी वह..सोचा भी नहीं था कि हमारी daastaan का यह हश्र होगा.

 उफ़, क्या करेगा क्या कहेगा समझ में नहीं आ रहा था.

 इसी उधेड़बुन में वह कनक के दरवाजे की बेल बजा रहा था दरवाजा कनक की मां ने खोला..

 उसने झुककर उनके पैर छुए “अरे बेटा तू कहां चला गया था ऐसे बिना बताए उन्होंने पूछा.. 10 दिन से तेरा कोई पता ठिकाना नहीं था..ना ही तूने कोई फोन किया ना बताया कि कहां गया था.वो तेरी बहुत चिंता कर रही थी.”

 राज सहज होने की कोशिश कर रहा था..soch rha tha kya hoga anjam uski daastaan ka.

“वह किसी जरूरी काम से पिताजी ने घर बुलवा लिया था आज ही लौटा हूं कनक कहां है आंटी”. उस की नजर उसे ढूंढ रही थी.

 “ऊपर कमरे में है वही चला जा मैं तेरे लिए चाय बना कर लाती हूं.” कह कर वह किचन की ओर बढ़ गई.

 वह धड़कते दिल से कमरे में जाकर कनक के सामने खड़ा हो गया..कनक का चेहरा किताबों के ऊपर झुका हुआ  था.. वह पढ़ रही थी, आहट सुनकर उसने चेहरा उठाया उसका चेहरा खुशी से खिल गया…

 “तुम कहां चले गए थे ना फोन ना तुम्हारा पता कहां गए थे ना ही मेरा फोन उठा रहे थे,कहते हुए एकदम उसके करीब आ गई” एक ही सांस में पूछ लिया था उसने सब कुछ.. राज उसके चेहरे को देखे जा रहा था एक पल को सब भूल गया था वह..

 “कनक घबरा गई उसने पूछा”-तुम्हारी तबीयत तो ठीक है..कहकर उसने उसे चेयर पर बिठाया..

” हां हां बिल्कुल ठीक हूं”.कहते हुऐ बोला था..

 “तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना,उसने दोबारा कहा तुम्हारा चेहरा बहुत उतरा सा लग रहा है, कनक ने उसके माथे को छूते हुए पूछा था…

” ठीक हूं “तुम कैसी हो राज ने पूछा..

 “तुम्हारे बिना कैसी हो सकती हूं वह भी पूरे 10 दिन  तुम मुझसे दूर रहे हो और तुम कैसे रह गए एक भी दिन मेरे बिना”…

” मैं भी तुम्हारे बिना ठीक नहीं था” वह रूआसा हो गया था.

 “मुझे पता है तुम मेरे बिना नहीं रह सकते पता नहीं  10 दिन कैसे गुजारे होंगे तुमने” कनक ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा..

 कितना कुछ जानती है और समझती है कनक मेरे बारे में..कैसे कहूं किस प्रकार से कहूँ कि मैंने उसे धोखा दिया है..

 हे भगवान मुझे शक्ति दे मै उससे कुछ छुपाना नहीं चाहता हूं मैं उसे बेइंतेहा प्यार करता हूं मैं उसे धोखा नहीं दे सकता हूं.

 उसके चेहरे को एकटक देखे जा रहा था समझ नहीं पा रहा था कहां से शुरू करे.

” क्या सोच रहे हो क्या हो गया है तुम्हें, कनक ने घबराकर पूछा.. तुम मुझे ठीक नहीं लग रहे हो और बहुत परेशान से दिख रहे हो क्या हो गया है तुम्हें”

 राज ने आंख बंद करके चेहरा झुका लिया..uff kya hoga hamari daastaan ka socha usne.

 “बोलो प्लीज चुप मत रहो पता नहीं क्यों मेरा मन तुम्हें देखकर बहुत घबरा रहा है..ऐसा क्यों लग रहा है कि कुछ गलत होने वाला है या हो चुका है..

 ऐसा क्या हो गया है इन 10 दिनों में मुझे बताओ… 

“समझ में नहीं आ रहा है मैं तुम्हें कैसे बताऊं”…वह उसका हाथ पकड़कर रो पड़ा.

 “बताओ मेरा जी बहुत घबरा रहा है बताओ मैं सुनना चाहती हूं”….

 वही बताने आया हूं मैं तुम्हें,तुमसे मैं कुछ नहीं छुपाना चाहता हूं.… कहकर उसने सब कुछ उसे बता दिया..

 “नहीं,नहीं कह दो यह झूठ है कह कर उसने अपना हाथ उसके  हाथों से छुड़ा लिया” वह फूट-फूट कर रो पड़ी…

 ये सत्य है कनक…..राज ने उसे पकड़ कर बैठाना चाहा…

 “मुझे छूना मत”कनक ने गुस्से से उसका हाथ झटक दिया… चले जाओ यहां से..

 मेरी बात तो सुनो कनक मुझे कुछ कहने का मौका तो दो…

” मुझे कुछ नहीं सुनना है” कुछ भी नहीं, उसने उसको कमरे से बाहर करके अंदर से दरवाजा लगा लिया…

 मां,जो आवाज सुनकर वहां आ गई थी उसने उन्हें भी सब कुछ सच बता दिया.. उन्होंने ने भी उसे गुस्से में घर से जाने के लिए कह दिया..

 वह इस समय चुपचाप चला गया..वह जानता था कि उस समय कनक पर क्या बीत रही होगी क्योंकि, कनक उसे बेइंतेहा चाहती थी. 

वो 4 दिन तक लगातार घर आता रहा लेकिन, कनक ने उससे मिलने से इंकार कर दिया था.

 आज पांचवे दिन वह फिर उसके घर पर था…

” अब क्या लेने आए हो” मां ने उसे फिर से दुतकारा था जाओ यहां से…

 “उसे आने दो मां”  कनक ने उसे अपने कमरे में बुलाया…

 वो एक कठिन फैसला ले चुकी थी शायद यही सही था…dono ki daastaan ke liye

मुझ पर विश्वास करो विश्वास करो मैं बेकसूर हूं माफ कर दो मुझे प्लीज तुम खुद सोचो अगर मैं गलत होता है या मैंने कोई गलती

की होती तो मैं तुम्हारे पास लौट कर आता ही क्यों? मैं सब कुछ छोड़ दूंगा बस तुम कहो तो.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं..

 “जानती हूं राज तुम्हारी चाहत पर मुझे कोई शक नहीं है”..

 ” इसी कारण से आज मैं तुम्हें अपनी तरफ से बिल्कुल से आजाद कर रही हूं yhi chod do hamari adhuri daastaan ko शायद आज ऊपर वाले का भी यही फैसला है”.

ऊपर वाले का फैसला मंजूर करते हुए लौट जाओ अपने घर.”.. हर daastaan पूरी नहीं होती है राज.

 “नहीं नहीं ऐसा मत कहो तुम” राज घबरा गया.तुम चाहोगी तो हमारी यह daastaan जरूर पूरी होगी.

 एक दूसरे को समझाते-समझाते शाम हो गई..आखिर राज हार गया कनक के सामने…. उसने भी स्वीकार कर लिया.

उसने भी अपने मन को समझा लिया कि यह daastaan अधूरी रह गई है.

 वह वापस जाने को तैयार था पर उसने भी एक शर्त रखी.. और उसे अपनी कसम दी…कि कनक कभी अकेले नहीं रहेगी.. उसे भी अपने लिए किसी को चुनना होगा.. क्योंकि वह जानता था कि  कनक अपना घर कभी नहीं बसायेगी.

 “और वह चुपचाप चला गया हमेशा के लिए..apni adhuri daastaan ke sath उसकी जिंदगी से” वह सचेत हुई…

 देखती रही..उसे जाता हुआ… वह जानती थी कि, अगर उसने एक आवाज लगाई तो सब बदल जाएगा.. use apne pyar ki daastaan kisi ko barbaad karke puri nhi karni thi,kyoki वह नहीं चाहती थी कि अपनी जिंदगी आबाद करने के लिए apni daastaan puri karne ke liye वह किसी की जिंदगी बर्बाद करें..

 “यही उसका सच्चा प्यार था उसके लिए” भले उसकी daastaan अधूरी रह गई तो क्या…. 

 वह दरवाजा बंद करके मुडी तो देखा सामने मां खड़ी थी.. उसकी आंखों में आंसू भर रहे थे लेकिन, उसने मां के सामने अपने आप को कमजोर नहीं होने दिया.

 अपने कमरे की तरफ बढ़ गई… अपने कमरे में जाकर वो अपनी अधूरी daastaan के लिए जी भर के रोना चाहती थी….

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 अगर आपको मेरी लिखी यह स्टोरी पसंद आई हो तो… प्लीज कृपया कमेंट जरूर कीजिएगा…

 धन्यवाद !!  🙏🙏🙏🙏🙏

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