वृद्धाआश्रम की बेंच पर बैठा सोहन सोच रहा था कि सच है कि कर्म (karma)इंसान का पीछा नहीं छोड़ते हैं और सोचते-
सोचते आंखों में बेतहाशा आंसू बह रहे थे.वहां कई और बुजुर्ग बैठे
थे, जो उसे चुप करा रहे थे पर आंखें थी कि, सब कुछ बहा देना चाहती थी.
आज उनका किया अतीत उन का किया कर्म(karma)उनके सामने खड़ा था. क्या सोचा था क्या हो गया ऐसा तो उन्होंने सोचा भी ना था कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है.इंसान गलतियां करते समय यही सोचता है वो गलत नहीं सही कर रहा है.
लेकिन कहते हैं ना कि इंसान की किए कर्म (karma)उन्हें नहीं छोड़ते हैं. चाहे वह अच्छे कर्म (karma)हो या फिर बुरे कर्म (karma)हो.बार-बार बेटे की आवाज कानों में गूंज रही थी कि “क्या डैड अब
आप की कितनी जिंदगी बची है” सोचिए जरा. जबकि मेरी तो सारी जिंदगी पड़ी है अब क्या करुं आपके कारण बर्बाद कर दूं. नहीं
डैड मैं ऐसा नहीं कर सकता.
पर बेटा..डर कर धीमे से बोले वो.
बस आप अपना सामान ले ले अब आपके जाने का वक्त हो रहा है.
दोपहर हो रही है शाम तक आपको छोड़कर मुझे घर वापस आना है अगर मैं समय पर नहीं आया और लेट हो गया तो वह मुझसे बहुत नाराज हो जाएगी.
“मुझसे कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ कर दे बेटा. पर मत कर मेरे साथ ऐसा” बेटा मैं तुम सब के बिना नहीं रह पाऊंगा..
ओहो!डैड क्या फालतू की बातें कर रहे हो, झल्लाकर बोला था बेटा वहां आप जैसे और भी कई लोग होंगे सब मन लग जाएगा..
लाख मना करने पर भी उनका बेटा अमन नहीं मान रहा था और फिर वह ना चाहते हुए भी वृद्धा आश्रम में बेटे के द्वारा छोड़ दिए
गए.. यह उनके कर्म (karma)का ही परिणाम था.
कमलेश यानी कि उनकी पत्नी को इस संसार से गए हुए 2 साल हो चुके थे. उस ने जो मेरे मां-बाप के साथ किया और मैं भी अंधा होकर उनके साथ गलत करता गया.शायद इसी का परिणाम था कि बेटे बहु खिलाफ थे.हमारे पाप कर्म (karma)के रूप में.
जिस बेटे के लिए कमलेश मरी जा रही थी उसी ने धक्का मार के कमलेश को अपने कमरे से बाहर निकाल दिया था.
उस दिन वह बहुत रोई थी मां पिता जी से माफी मांगी. शायद उसे एहसास हो गया था कि उसने बहुत गलत किया है. यह उसके द्वारा किया हुआ कर्म (karma)ही था जो उसे मिला था.पर अब हो ही
क्या सकता था मैं भी पश्चाताप के कारण मरा जा रहा था.पाप तो
हम दोनों कर चुके थे उसका प्रायश्चित रह गया था.
कमलेश को ऐसा सदमा लगा कि वह अंदर ही अंदर घुल गई.
बार-बार माता-पिता जी से माफी मांगती.उनकी तस्वीर को बार-बार निहारती थी.. और फिर वो इस संसार से विदा हो गई..
हाथ कंप-कपा रहे थे,आंसू रुक नहीं रहे थे. सामने ठाकुर जी कृष्ण कन्हैया विराजमान थे, और वह उन्हें देखकर बुदबुदाए जा रहे थे.
यह उनके पापों की उनके किए हुए कर्म (karma)की सजा थी कि जो उन्होंने अपने मां-बाप के साथ किया वहीं उन्हें परिणाम स्वरूप मिला था रोते-रोते वहां बने मंदिर में बैठ गए..
कब अतीत मैं किया हुआ कर्म (karma)उन के सामने खड़ा हो गया उन्हें पता ही ना चला.. सोहन की शादी कमलेश से हुई मां ने नई बहू का हंसकर स्वागत किया.
मरी जाती थी. पर बहु थी कि उन्हें कुछ समझना ही नहीं चाहती थी.
उसी बहू ने 4 महीने बाद ऐसा फैसला किया कि पूरा घर दंग था..
सुनो जी मैं तुम्हारी मां बाप के साथ नहीं रह सकती हूं..
“पागल हो गई हो क्या तुम”सोहन बोला.
“हां हां पागल हो गई हूं नहीं रहना मुझे तुम्हारे मां-बाप के साथ बस”.
“देखो मोहन भैया पहले ही अलग हो चुके हैं ऐसे में मैंने उन्हें छोड़ दिया तो”सोहन बोला.
“तो मुझे छोड़ दो” कहकर कमलेश ने घर में खूब हंगामा किया पूरे घर में तनाव फैल चुका था मां-बाप रोए जा रहे थे सदमे के मारे पिताजी को हार्ट अटैक आया और वह इस संसार से विदा हो गए.
अब बची थी मां…. कमलेश उन्हें भी निभाने के लिए तैयार ना थी.उसने उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ने को कहा और वह उन्हें छोड़ आया बिना सोचे समझे ना कुछ कहा ना कुछ सुना.. जिस बेटे को समझना और समझाना चाहिए अपनी मां के प्रति वही अपने पत्नी के कहने पर गलत कर्म कर उसका भागीदार बन गया.
उस दिन माँ बहुत रोई थी उसी की तरह लेकिन वह पसीजा नहीं था वह भी मुंह फेर कर घर आ चुका था..
दो बेटे के होते हुए एक भी उनको रखने के लिए तैयार ना था 1 साल बाद पता चला कि अपने बेटों को याद करते-करते वो इस संसार से विदा हो गई. बेटे को बुलाने के लिए मना कर दिया था उन्होंने,इस कारण उन्हें कुछ पता भी ना चला.
ठीक किया प्रभु कुछ सचेत हुआ.अतीत से बाहर आया “मैंने भी तो यही (karma)किया था.अपने मां बाप के साथ”सब इसी पृथ्वी पर है, जो जैसा करेगा उसे अपने कर्म (karma)के फल स्वरुप किसी भी रूप में वैसा ही मिलेगा.मुझे माफ कर देना मां पिताजी कहते कहते रो पड़ा..
धन्यवाद!!🙏🙏
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