Wednesday, December 4, 2024
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Story–आखिर में(aakhir mai)

जवाब दो रागिनी चुप क्यों हो…

मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि देव ने तुम्हें याद किया है वह तुमसे मिलना चाहता है चलोगी कि नहीं.

 आखिर में(aakhir mai) याद आ ही गई उसकी रागिनी सिर झुकाए सोच रही थी.

 बोलती क्यों नहीं हो बोलो…उन्होंने फिर सामने सिर पर पल्लू डाले रागिनी से कड़क आवाज में पूछा…जवाब नहीं है तुम्हारे मुंह में वह झुंझला गए.

 उन्होंने आपको पहली बार में ही जवाब दिया कि नहीं…पर आपने सुना ही नहीं…जबरदस्ती पीछे पड़ रहे है … पास ही  रागिनी का 23 साल का बेटा जो हाथ बांधे खड़ा था,बोल पड़ा आखिर में(aakhir mai) आ ही गई मेरी मां की जरूरत.

 तुम चुप रहो…उन्होंने रागिनी से पूछा…मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए वह चिल्ला पड़े.पर आखिर में (aakhir mai)वह हार चुके थे. रागिनी के जवाब न देने से. वह असहाय सा महसूस कर रहे थे अंदर से.

 आवाज नीचे मिस्टर मोहनदास….रागिनी का बेटा भी चिल्ला पड़ा.

 खामोश बदतमीज..तुझे बोलने की तमीज नहीं सिखाई तेरी मां ने.

 नहीं सिखाई है ठीक वैसे ही जैसे आपने अपने बेटे को नहीं सिखाई थी… मुझे पता था कि एक न एक दिन आखिर में (aakhir mai)आप हमारे पास ही आएंगे.

 नालायक उन्होंने उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया… तेरी इतनी हिम्मत जो मुझ से जबान चलाए… रागिनी बहु है मेरी और तू मेरा पोता.

 चलाऊंगा जबान और चलाऊंगा क्या कर लेंगे आप नहीं है वह आपकी बहू नहीं हूं मैं आपका पोता ना ही यह आपकी पोती. उसने पास खड़ी अपनी 21 वर्षीय बहन को उनके पास खड़ा करके जवाब दिया.

 आखिर में (aakhir mai)आपको हमारी जरूरत क्यों पड़ी… कह कर हंसने लगा वो.

 उसकी बहन जो वही चुपचाप पास खड़ी थी.सब देख और सुनकर थर थर कांप रही थी रागिनी भी चुप थी.

 रागिनी मोहन दास की बहू थी.उनके बेटे देव की पत्नी. रागिनी के दो बच्चे थे बड़ा कुंदन और छोटी एक बेटी रमा.रागिनी ने मेहनत करके उन दोनों को पाला था.

कुंदन पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन  करके घर में मां का हाथ बटा रहा था और अपनी और अपनी बहन की पढ़ाई का खर्चा मां के साथ मिलकर चला रहा था.

 उसे अपनी मां रागिनी से और बहन से बहुत प्रेम था. क्योंकि उसका बचपन बाप होते हुए भी माँ की छांव में बीता था.

 बहुत सिर पर चढ़ा रखा है तूने…इस मोहन दास बोले.

 हां बिल्कुल आपकी तरह जैसे आपने अपने तीनों बच्चों को सिर पर चढ़ा रखा था हंस पड़ा कुंदन.

 बदतमीज…पता नहीं क्यों मोहन दास खिसियायें जा रहे थे. लेकिन आखिरी में(aakhir mai) उनकी हार हो चुकी थी और वो इसे अच्छी तरह से जानते थे.

 कुंदन उन्हें इस दशा में देखकर हंसे जा रहा था.जाने क्यों आज उसे बड़ा अच्छा लग रहा था.सामने खड़ी रागिनी की हिम्मत नहीं हो रही थी बोलने की उन दोनों की बातों के बीच में.

 उन दोनों की बातों के बीच में ही बो ना जाने कब बीती जिंदगी में पहुंच गई……

 25 साल पहले उसका विवाह देव के साथ हुआ था उसकी दुल्हन बन कर उसने उसके घर में कदम रखा. नई बहू का जोरदार स्वागत हुआ था घर में.

 घर में सास ससुर के थे देव तीन भाई बहन था सबसे बड़ा देव उस से छोटा समर उससे छोटी और सबसे प्यारी बहन गीता.

 घर में किराने का अच्छा खासा चलता हुआ व्यापार था.देव की सरकारी जॉब थी.छोटा भाई समर पिता के साथ मिलकर व्यापार को संभाल रहे थे.

 देव बड़ा होने के कारण दादी बाबा और पूरे घर का लाडला था.ज्यादा लाड़ प्यार के कारण धीरे-धीरे वह बिगड़ने लगा था. शराब जुआ और अन्य बुरी लते उसे लग चुकी थी.वही समर बुरी आदतों से दूर था.

 ना तो उसे कोई डांटता था ना ही कोई उसे समझाता था.धीरे-धीरे जब उसकी शिकायत मोहल्ले से आने लगी तो मोहन दास और पूरे परिवार ने आखिर में (aakhir mai)उसकी शादी करने का निश्चय किया.

 तीखे नयन नक्श और सांवली सलोनी रागिनी पूरे घर को एक ही बार में पसंद आ गई थी.

 रागिनी मध्यम परिवार के खाते पीते घर से थी वह. तो वहीं देव के यहां रुपए पैसों जमीन जायदाद किसी भी चीज की कमी न थी.

 मोहन दास ने देव की सारी कमी छुपा कर रागिनी से उसकी शादी कर दी.रागिनी के घर वाले सीधे-साधे थे तो उन्होंने भी देव के बारे में ज्यादा पता करने की कोशिश नहीं की.

 10 दिन खुशी-खुशी बीत गए पता भी ना चला,लेकिन 11 वें दिन जब देव शराब पीकर झूमते हुऐ कमरे मे आया तो रागिनी डर गई उसने देव से पूछा….आप शराब पीते हैं.

 नहीं तो देव ने छिपाने की कोशिश की पर शराब की बदबू रागिनी के दिमाग में घुसी जा रही थी.

वह फिर बोली…झूठ बोल रहे हैं आप मुंह से शराब की बदबू आ रही है.

 हां वह दोस्तों ने जबरदस्ती पिला दी उसने अपने आप को संभालते हुए कहा.

 देखिए यह सब अच्छा नहीं है अब ऐसा मत कीजिएगा.कहते हुए रागिनी ने उसे पलंग पर लिटा कर चादर ओढ़ा दी.

 दूसरे दिन फिर शाम को काम से लौटते समय देव पीकर आया पूरे घर में हंगामा किया पर सास ससुर भाई बहन ने उस से कुछ नहीं कहा.सब चुपचाप तमाशा देख रहे थे (aakhir mai)रागिनी से रहा नहीं गया तो वह बोल पड़ी.

 यह सब क्या है आप शराब पीते हैं…पर मेरे पिताजी से तो कही गई थी कि लड़का इन चीजों को हाथ भी नहीं लगाता है.

 बहू… सास ने कड़क आवाज में कहा…हमारे घर में आदमियों से इतनी तेज आवाज में बात नहीं की जाती है.

 पर मम्मी जी आप देख रही है ना अपने बेटे की हालत…  वह गुस्से में बोली

 सब ठीक हो जाएगा बहू.. मोहन दास बोले…समर इसे इसके कमरे में छोड़ आ.कह कर वह अपने कमरे में चले गए.

 सब तमाशा देखकर (aakhir mai)अपने अपने कमरे में चले गए रागिनी भी अपने कमरे में आ गई.

 धीरे-धीरे समय यूं ही बीतता गया और(aakhir mai) देव की पोल उसके आगे खुल गई.देव शराब जुआ के साथ-साथ अयाशी में भी आगे था.

 हर शाम को शराब पीने की आदत उसकी बढ़ती जा रही थी. पिताजी से जितने पैसे चाहता घर से ले जाकर जुआ खेलता था कई कई दिन घर नहीं आता था.

 रागिनी सोच कर बहुत परेशान थी उसे देव की चिंता खाए जा रही थी पर घर वाले थे कि उन्हें उसकी कोई चिंता नहीं थी.

 उसने अपने मायके में देव की कोई बात नहीं की थी.क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि मायके वालों को उसके बारे में पता चले और वह परेशान हों.

 वह देव को सुधारने की कोशिश करती तो वह उस पर ही हाथ उठा देता था.

 सास ससुर से जब वह कहती तो वह उसे ही समझा देते थे कि सब ठीक हो जाएगा पर सब ठीक होने की जगह(aakhir mai) बिगड़ रहा था.

 धीरे-धीरे यूं ही 3 साल बीत गए इस बीच कुंदन और रमा इस संसार में आ चुके थे.

 बच्चे होने के बाद भी देव मे सुधार नहीं था.अक्सर वह रागिनी पर हाथ उठाने लगा था.

 स्थिति बिगड़ती जा रही थी कोई उसका साथ नहीं देता था. उल्टा सास उसे ताने देते थी.

 हमने सोचा था की शादी के बाद बहू आएगी तो बेटा सुधर जाएगा पर यहां देखो वह और भी बिगड़ता जा रहा है.सास ने ताना कसा.

 मां जी आप तो ऐसे कह रही हैं कि जैसे मैंने ही बिगड़ा है इन्हे…(aakhir mai)रागिनी गुस्से में बोली.

 मैंने ऐसा कब कहा है अगर तू चाहती तो मेरा बेटा सुधर जाता है.

  क्यों नहीं सब मै हीं चाहूं और आप सब इनके मांगे पूरी करके इन्हें और बिगाड़े…. रागिनी बोली आप घर की बड़ी है यह फर्ज आपका है पर आप ही इन्हे शह दे रही हो.

 खबरदार तूने माँ से जबान चलाई तो देव ने आते ही जब रागिनी की बातें सुनी तो (aakhir mai)एक जोरदार थप्पड़ मारा.

 सही कह रही हूं मैं (aakhir mai)रागनी तिलमिला गई उसने उसे उस दिन खूब मारा पर कोई उसे रोकने वाला नहीं था.

 आखिर में (aakhir mai)रागिनी टूट चुकी थी.जिंदगी के चार साल और बीत गए अब शादी के 7 साल हो चुके थे कुंदन 5 साल का और रमा 4 साल की हो चुके थे.

 जब देव रागिनी को मारता तो कुंदन बहुत गुस्सा करता था.वह समझने लगा था कि उसके पापा देव मां को बेवजह मारते हैं और दादी दादा कुछ नहीं कहते हैं.

 वह अक्सर रागिनी के आंसू पोंछता था… तुम चिंता ना करो मां मुझे बड़ा हो जाने दो जब इस देव को बताऊंगा..

 पगले ऐसा नहीं कहते हैं वह तेरे पापा हैं..कहकर रागिनी उसे गले से लगा लेती थी.

 एक हफ्ता बीत गया देव घर नहीं आया था.रागिनी बहुत चिंतित थी.उसने (aakhir mai)अपने देवर समर से कहा तो वह बोला की भाभी भैया नहीं आने वाले हैं.

 क्यों कहां है आपको पता है..रागिनी ने पूछा

 हां वह अपनी एक दोस्त के साथ रह रहे हैं पिताजी ने उन्हें घर आने को कहा तो वह बोले कि मुझे घर नहीं आना इसी के साथ रहना है.

 हे भगवान….रागिनी रोने लगी.

 रोइये यह मत भाभी…हम समझ सकते हैं आपका दुख…समर ने उसे समझाया.

 अब क्या होगा भैया रागिनी रोये जा रही थी उसकी (aakhir mai)कुछ समझ में नहीं आ रहा था और उसी दिन शाम को देव अपनी महिला मित्र मोनिका को घर ले आया.

 रागिनी ने विरोध किया तो उसने उसे खूब मारा और शराब के नशे में दोनों बच्चों सहित धक्का मार के घर से निकाल दिया सब खड़े होकर तमाशा देख रहे थे.

 वह रोती रही पर किसी ने देव के आगे आने की कोशिश नहीं की. जैसे तैसे उसने अपने मायके फोन किया.एक घंटे बाद उसके पिताजी आ गए.

 मायका पास ही था पिताजी रागिनी की हालत देखकर खुद रो पड़े आखिर में (aakhir mai)रागिनी ने उन्हें सब कुछ सच-सच बता दिया.

 उन्होंने मोहन दास से बात करनी चाहिए तो उसने उसे मना कर दिया रागिनी बच्चों सहित पिता के घर आ गई.

 मां को जब सारी बात पता चली तो उन्होंने रागिनी को सीने से लगा लिया….पगली तूने हमें पहले क्यों नहीं बताया वह भी रो पड़ी.

 चिंता ना कर बेटा सब ठीक हो जाएगा पिता ने उसे समझाया

हां दीदी सब ठीक हो जाएगा… उसके दोनों भाई बहन बोले.

 समय बीता 5 साल हो चुके थे. रागिनी को ससुराल छोड़ें. पर किसी ने भी सुध नहीं ली. इस बीच उसने नर्स की ट्रेनिंग ली और अब वह एक अस्पताल में कार्यरत थी.

 उसने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दिया. बच्चे स्कूल जा रहे थे मां पिताजी और भाई बहन का पूरा सहयोग था.

 आखिर में (aakhir mai)वह सब भूल कर मरीजों की सेवा और अपने बच्चों में रम गई.

 रागिनी की शादी को 23 साल बीत गए कुंदन ग्रेजुएशन कर चुका था और रमा ग्रेजुएशन कर रही थी.उसने दोनों भाई बहनों की शादी हो चुकी थी.

मां ने बच्चों को अच्छे संस्कार देकर पाला था इसलिए भैया भाभी भी अच्छे थे और उसका मान करते थे.

 सभी एक दूसरे के लिए जान देते थे.इधर देव के घर की पूरी कहानी बदल चुकी थी.

 इधर घर मे भी समर की शादी हो चुकी थी और गीता की भी.वो शादी करके ससुराल जा चुकी थी.

 एक दिन देव कमरे में बैठा खांस रहा था कुछ दिन से उसकी तबीयत सही नहीं थी मां पास ही बैठी थी.

 क्या बात है बेटा….मां ने पूछा?

 कुछ नहीं माँ अचानक खांसते खाँसते उसे उल्टी महसूस हुई उसने वॉश बेसिन में देखा कि उसके मुंह से खून आ रहा है.

 मां घबरा के बोली यह सब क्या है… क्या हो गया तुझे माँ

एकदम बौखला गई.

 मां परेशान हो गई…पर मोनिका उसकी महिला मित्र जो उसके साथ ही रह रही थी उसे कोई फर्क ना था.

 हालात ज्यादा बिगड़े तो देव को अस्पताल ले जाया गया वहां डॉक्टर ने बताया कि उसे कैंसर हो चुका है अब वो कुछ ही दिन का मेहमान है.

 पूरा घर रो रहा था शाम को मोनिका ने एक फाइल देव के सामने रख दी.

 यह क्या है मोनिका….देव ने पूछा.

 यह तुम्हारे हिस्से के जायदाद के पेपर हैं इनमें साइन कर दो.

 क्यों क्या हुआ.. उसने उसकी ओर देखते हुए पूछा.

 डॉक्टर ने कहा है कि तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है इसलिए तुम अपने हिस्से की जमीन जायदाद मेरे नाम कर दो.

 पागल हो गई हो वह चिल्ला पड़ा कैसी औरत हो तुम.

 तुम्हारी बीवी नहीं हूं मोनिका ने भी रंग बदला.

 मोनिका इतना कुछ तुम्हारे घर वालों के लिए तुम्हारे लिए किया तब भी तुम्हें यह सब कहते शर्म नहीं आ रही है.

 शर्म मुझे नहीं तुम्हें आनी चाहिए बीवी के होते हुए भी मुझे अपने घर ले आये मैं नहीं गई थी समझे…. मोनिका ने व्यंग्य कसा… और उसे खूब खरी-खोटी सुनाई.

 ओहो…सातवें आसमान पर रहने वाला देव जमीन पर आ गया.

 अब ज्यादा मत सोचो इन कागजों पर साइन करो और मुझे जाने दो मोनिका झुंझलाकर बोली.

 मैं तुम्हें पहले ही मकान गाड़ी सब दे चुका हूं..क्या तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है. उसने उसकी और देखते हुए पूछा.

 प्यार तुम जैसे शराबी से जो अपनी इतनी अच्छी पत्नी का ना हुआ वह मेरा क्या होगा.आखिर में मोनिका ने उसे खूब सुनाया.

 आज पता नहीं क्या हो गया था कि देव के मुंह से जवाब नहीं निकल रहा था.

 अब ज्यादा सोचो मत इन पेपरों पर साइन कर दो.

 मैं नहीं करूंगा..वह अचानक बोला चली जाओ यहां से

यूं खाली हाथ नहीं जाने वाली मै … मोनिका ने धमकी दी.

 हर समय चुप रहने वाला समर की आंखें भी आज खुल चुकी थी.वो आज बढ़कर आगे आया…

 हमें पता था कि तू कुछ लेकर ही जाएगी.समर ने अंदर आते ही कहा…मोनिका उसे वहां देखकर सकपका गई.उसने उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया.

 देव रोने लगा पूरा घर उसके पास आ चुका था.

 मैंने बहुत पाप किए हैं अपनी पत्नी बच्चों को घर से निकाल दिया दूसरी औरत के लिए.आज वही औरत वही औरत मुझे छोड़कर चली गई.

 यह मेरे पापों का ही परिणाम है.मां भगवान ने मुझे सजा दी है वह रोये जा रहा था आखिर में(aakhir mai)आज उसे पश्चाताप हो रहा था.

 काश कि तुम मुझे मारती डाटती समझाती तो यह दिन ना आते… देव रोते हुए बोला.

 हां बेटा तू सच कह रहा है अंधी हो गई थी मैं तेरे प्यार में.. मां भी रोए जा रही थी.

 हम सब गुनाहगार हैं तेरे… पिता रो पड़े.

 तभी अचानक देव ने पूछा…..रागिनी कहां है.

 अपने मां बाप के घर भैया….समर बोला.

 मैं उससे मिलना चाहता हूं आखिर में(aakhir mai) मरने से पहले मैं उस से क्षमा मांगना चाहता हूं.अपने बच्चों को देखना चाहता हूं वह रोने लग गया.

 आप रो मत भैया.. हमने भाभी से बात करने की कोशिश की पर उन से बात नहीं हो पाई है. उनके घर वालों ने कहा हमें आपसे कोई मतलब नहीं है.

 सही कहा मै इसी काबिल हूं आखिर में (aakhir mai)हताश हो गया वह.

पिताजी एक बार मुझे रागिनी और बच्चों से मिलवा दें. वो उन के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा.

 मैं उन्हें देखना चाहता हूं अपने बच्चों को अपने हिस्से की जमीन ज्यादा देना चाहता हूं. उनका पूरा बचपन बर्बाद कर दिया मैंने. अब उनकी और रागिनी की जिंदगी सवारना चाहता हूं.

 वहां कोई भी नहीं मिलना चाहता है आपसे ना भाभी ना कुंदन और ना रमा.

 पिताजी आप कोशिश कीजिए करेंगे ना.उसने दोनों हाथ जोड़ दिए आखिर में…(aakhir mai) वो अब पूर्ण रूप से टूट गया था.

 हां बेटा हां मोहन दास ने उसे सीने से लगाकर कहा और रो पड़े.

 मोहन दास ने रागिनी के घर जाकर सबसे माफ़ी मांगी और सब कुछ रागिनी को बता दिया.

 पर रागिनी ने देव से मिलने से इनकार कर दिया.आखिर में (aakhir mai)सोचते सोचते रागिनी अपनी बीती दुनिया से वापस लौट आई.

 जवाब दो रागिनी तुम तो ऐसी न थी… पता नहीं क्यों कुंदन के कहे शब्दों ने उनका रोब खत्म कर दिया. वह एकदम नरम हो गए.

 इन्हें ऐसा बनाने में आप सबका ही हाथ है मिस्टर मोहन दास…कुंदन हंसते हुए बोला.

 हां तू ठीक कहता है मेरे बेटे..मैंने मेरे परिवार ने तेरी मां पर बड़े जुल्म किये.उन्ही जुल्मों का पाप का फल हम सब भोग रहे हैं.

 चलो अक्ल ठिकाने तो आई आखिर में(aakhir mai) अब फायदा ही क्या है कुंदन ने व्यंग कसा.

 हां आ गई बेटा आखिर में (aakhir mai)आई…मुझे भी अफसोस है.ऊपर वाले ने बहुत बड़ा दंड दिया है हम सबको.अपने किए पापों का.अब पापों का प्रायश्चित करना चाहता हूं रागिनी एक बार देव से मिल ले.

 वो नहीं जाएगी आपके देव ने ही इन्हें बच्चों सहित घर से धक्का मार के निकला था.कहां थे आप सब अरे हां उसने व्यंग कसा…

आप सब भी तो वही थे देव तमाशा कर रहा था और आप सब दर्शक बन कर देख रहे थे. मजा ले रहे थे तो (aakhir mai)सजा भी आप ही को मिलेगी.

 बेटा उन्होंने कुछ कहना चाहा तो कुंदन ने रोक दिया.. खबरदार जो मुझे बेटा कहा सब याद है मुझे चले जाइए यहां से उसने हाथ खींचकर उन्हें बाहर करना चाह तभी रागिनी के पिताजी ने उन्हें पकड़ कर कुंदन को रोका.

 कुंदन क्या है यह सब….उन्होंने उसे डांटा.

 देख नहीं रहे हैं नाना जी क्या है यह सब मिस्टर मोहन दास आपके समधी आपके दरवाजे आ कर आपकी बेटी से अपने बेटे से मिलने की भीख मांग रहे हैं आखिर में (aakhir mai)बेचारा मरने वाला है…कहकर हंसने लगा कुंदन.

 चुप हो जा बेवकूफ…कहकर कुंदन के नाना ने माफी मांग कर उन्हें बैठाया.

 इतनी इज्जत नहीं नाना जी इन्होंने आपकी बेटी का बहुत बेइज्जती किया था.चश्मादीद गवाह हूं मैं उसे बेइज्जती का.

 कुंदन….नाना ने फिर से डांटा.

 रहने दे समधी साहब कुंदन ठीक कह रहा है माफ कर दीजिए आप हम सबको उन्होंने हाथ जोड़ दिए.आखिर में (aakhir mai)सिर झुका लिया उन्होंने.

 हमने आपकी बेटी पर बहुत जुल्म किए हैं इन बच्चों पर भी उसी की सजा ऊपर वाले ने हमें दी है बस एक बार रागिनी देव से मिल लेती तो पाप कुछ कम हो जाते हैं.

रागिनी आज भी उस घर की बहू है.

 वह आपकी कुछ नहीं है हम दोनों की मां बाप है बस….कुंदन बोला.

 चुप हो जा बेटा शांत हो जा.. नाना ने उसे रोका तो कुंदन एकदम शांत हो गया.

 जा बेटी समधी साहब के साथ चली जा मिलने देव से.भूल जा जो हो चुका है रागिनी ने मना किया और कुंदन ने भी पर (aakhir mai)अपने पिता के आगे वह झुक गई.

 मोहन दास सभी को लेकर अस्पताल पहुंचे. देव रागिनी को देखकर रोने लगा उसने उसका हाथ पकड़ लिया.

 माफ कर दो मुझे रागिनी मैंने जो गुनाह किया उसी का फल है….मैं बहुत जल्दी संसार से…

 नहीं नहीं रागिनी ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया.उसने कुछ कागज के हाथों में दे दिए.

 क्या है यह… रागिनी ने पूछा.

 तुम्हारा हक मेरे हिस्से की जमीन जायदाद.

 मुझे यह सब नहीं चाहिए रागिनी बोली.

 रख लो बेटा सब तुम्हारा है जैसा तुम चाहोगी सब वैसा होगा.. देव की मां बोली सब तुम्हारा तुम्हारे बच्चों का है.

 माँ जी बस ये अच्छे हो जाए मुझे कुछ नहीं चाहिए.. रागिनी रोते हुऐ बोली.

 पूरे 10 दिन बीत गए. देव ने एक पल के लिए भी रागिनी को अपने से दूर नहीं किया. उसी दिन शाम को देव की तबीयत बिगड़ गई और(aakhir mai) देव को बहुत कोशिशें के बाद भी डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए.

 देव के माता-पिता रो रहे थे और बुदबुदा रहे थे (aakhir mai)भगवान ने हमारे पापा की सजा दी है दोनों ने रागिनी कुंदन और रमा को अपने सीने से लगा लिया.

 आपको मेरी लिखी स्टोरी कैसी लगी कृपया कमेंट करके जरूर बताएं.

धन्यवाद…. 🙏🙏🙏🙏🙏

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