Sunday, October 6, 2024
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मोटिवेशन–पारिवारिक(parivar mai) मतभेद आखिर क्यों?इससे कैसे बचें

पहले लोग संयुक्त परिवार (parivar)में रहते थे और सभी मिलकर रहते थे किसी के साथ किसी को कोई गिला शिकवा नहीं रहता था. सभी एक दूसरे के साथ मिलकर रहते थे और एक दूसरे का ख्याल रखते थे. पर अब ऐसी बात नहीं है.

parivar

 पर आज ऐसा नहीं है सब कुछ बदल चुका है आजकल प्यार कम तकरार ज्यादा हो गई है.भाई-भाई में, भाई-बहन में, मां बाप से देवरानी-जेठानी या किसी से भी क्यों?

बहुत से लोग चाहते हैं कि हमारा परिवार(parivar) हमेशा एक साथ मिलकर चले. और बहुत से चाहते हैं कि शादी हो गई है हमें अलग रहना है हमारी भी गृहस्थी है.

 आजकल अलग रहने का चलन बहुत बढ़ गया है.सब अलग रहना चाहते हैं शादी के बाद तो अक्सर भाई-भाई में मतभेद होने लगता है जो भाई एक दूसरे के बिना नहीं रहते थे. एक खरोच आने पर दूसरा रो जाता था.एक के पीटने  पर दूसरा मारने को तैयार हो जाता था. अब वो सब शादी होते ही धीरे धीरे बदलने लगी हैं.

 ऐसा क्या हो जाता है कि चीजें बदल जाती हम सोचते भी नहीं हैं और वह परिवार(parivar) में होने लग जाता है कुछ अलग सा जिंदगी में जहां कई भाई-बहन होते हैं तो अक्सर ही मतभेद होते हैं. सब अलग रहना चाहते हैं कोई किसी को पसंद नहीं करता है ना ही साथ रहना चाहता है. 

यह आपने देखा सुना भी होगा और हो सकता है कि आपके यहां या आपके साथ हो रहा हो.

शायद हमारा रिश्तो के लिए ना सोचना परिवार (parivar)के लिए ना सोचना और समझना भी पारिवारिक मतभेद का एक कारण हो सकता है. अगर आप चाहते हैं कि हम भाई भाई मिलकर रहें और हमारी पत्नी भी मिलकर रहे परिवार बना रहे तो ध्यान देना ही होगा.

 यह पहल खुद आपको करनी होगी. ताकि आपका परिवार (parivar)बना रहे.मतभेद होने के एक नहीं अनेक कारण होते हैं ना जाने कितने सारे.पर कुछ के लिए तो सोचा ही जा सकता है उन चीज़ों का ध्यान रखें

कई बार तो माता-पिता खुद ही अपने बच्चों से अलग-अलग व्यवहार करते हैं इस कारण से बच्चे खुद भी ऐसा आपस में करने लगते हैं.

तो कई बार माता-पिता की स्थितियों को बच्चों के द्वारा ना समझना झगड़ा करना. बेवजह लड़ना,जलन-ईर्ष्या भी मतभेद का कारण बन जाता है.

परिवार(parivar) में एक भाई मां -बाप की बहुत इज्जत करता है दूसरा बिल्कुल भी नहीं करता है यह समझना ही नहीं चाहता मां-बाप भी मजबूर हो जाते हैं यह भी मतभेद का कारण होता है वहीं से मतभेद शुरू हो जाता है.

कई बार ऐसा होता है घरों परिवार(parivar)में कि शादी से पहले सब कुछ सही चलता रहता है फिर अचानक सब कुछ बदलने लगता है और यह मतभेद शुरू हो जाता है कभी मां-बाप की ना समझी से तो कभी बच्चों की खुद की नासमझी से.

 कई घरों में तो शादीशुदा बेटी का घर में दखल देना और कुंवारी बेटी का दखल देना भी आपस में मतभेद का कारण बन जाता है और खासकर बेटे की शादी होने के बाद यह दखलअंदाजी पारिवारिक मतभेद का कारण बनती है.

कई बार स्थितियां और भी अलग होती हैं कि शादी के बाद बहू का बेटी ना समझा जाना या शादी के बाद बहू के घर वालों का ससुराल में दखल देना.

खास कर दो भाइयों की शादी के बाद काफी परिस्थितियां अलग हो जाती हैं दोनों अलग अलग विचारधारा के होते हैं लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाता है.

जेठानी और देवरानी मे बनती नहीं है.ऐसे मे भाइयों में मतभेद होना लाजमी है और दोनों अलग अलग हो जाते हैं. मां-बाप असहाय होकर चुपचाप बच्चों की खुशी समझकर चुप रह जाते हैं और कुछ भी नहीं बोल पाते हैं.

कई घरों में तो ऐसा होता है कि दो बहुओं के बीच में अलग-अलग व्यवहार किया जाता है इसके कारण एक को ज्यादा तवज्जो देना और एक को बिल्कुल ना समझना भी मतभेद उत्पन्न करता है.

और तो और कुछ घरों में तो यह भी देखने को मिल जाएगा की बीवी आ जाने से बेटा खुद ही घर वालों के खिलाफ हो जाता है.बेटे के द्वारा गलत सही का सही फैसला ना करना और ससुरालियों की दखलअंदाजी भी पारिवारिक मतभेद का कारण होती है.

ऐसे में शादी विवाह जैसे शुभ कार्य या कोई भी शुभ कार्य में कोई एक दूसरे को नहीं पूछता है अगर पूछ भी लिया तो वह व्यवहार नहीं होता जो पहले हुआ करता था.

अभी भी कुछ परिवार(parivar) ऐसे हैं जो एक दूसरे के साथ बंध कर और बांधकर चल रहे हैं लेकिन कितने हैं…..

कारण बहुत से हो सकते हैं. यहां पर कहना सोचना और समझना और समझाना बहुत ही मुश्किल है. हर घर की अलग-अलग स्थिति होती है. लेकिन हर घर में कोई ना कोई यह जरूर सोचता है कि काश! कि हम सब मिलकर रहते या मिलकर चलें.

 अगर आप सूझबूझ से चले तो सब कुछ अच्छा हो सकता है. रिश्तो को बनाए रखने के लिए और बचाए रखने के लिए सूझबूझ और संयम बहुत जरूरी है.

जिन घरों में सूझबूझ और समझ है वहां आज भी रिश्ते बचे हुए हैं शुरू से ही ध्यान दिया जाएगा तभी रिश्ते बचेंगे.

लेकिन अगर आपने सोच लिया है कि हमें तो अलग रहना है तो कोई नहीं रोक सकता है और साथ रहना चाहते हैं तो कोई अलग नहीं कर सकता है.अगर साथ रहना है और रिश्ते बचाने हैं(parivar bachana hai) तो खुद ही आगे आए.

कोशिश जरूर करें… हो सकता है कि सब कुछ ठीक हो जाए तो ध्यान दें कि हम इसे कैसे बचा सकते हैं और पारिवारिक मतभेद कैसे रुक सकता है…..

1– छोटी-छोटी बातों को बड़ा ना बनने दें  जहां बातें  बड़ी दिखाई दें वही की वहीं समझाने की कोशिश करें कभी मतभेद नहीं होगा.

2– सब के प्रति सम्मान और समझ बनाए रखें. किसी के कहने में ना आए भगवान ने आपको भी दिमाग और आंख कान दिए हैं उनका प्रयोग करें सोचे समझे सुने देखें तभी मतभेद से बचेंगे रिश्ते भी बचेंगे.

4– भाई भाई एक दूसरे को नीचा ना दिखाएं पत्नी के कारण मां बाप भाई बहन से ना लड़ें. जिसकी गलती देखे उसे प्यार से बैठकर समझाएं. प्यार और इज्जत की भाषा हर कोई समझता है. हो सकता है सब कुछ बच जाए.

5– मां को भी चाहिए कि बेटी बहू को एक नजर से देखें अलग-अलग नहीं.जिसकी गलती देखें उसे समझाएं हो सकता है कि असर हो जाए और मतभेद बच जाए.

6– मां बाप अपने बच्चों को एक समान समझे अलग-अलग दृष्टि से ना देखें जब आप बचपन में एक सा व्यवहार करेंगे तो बच्चे भी समझेगे. क्योंकि बच्चे जैसे माहौल में पलते हैं देखते हैं वैसे ही बनते हैं.

7– गलती होने पर पहले प्यार से समझाएं उन्हें एहसास कराएं. और संयम रखें. डांटना और दुलार करना भी समय-समय पर जरूरी है.हो सकता है कि आगे कभी मतभेद न झेलना पड़े.

8– अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार भी दें.ना अपनी बेटी के ससुराल में दखलअंदाजी करें और ना ही बेटी को मायके में दखलअंदाजी करने दें.

9– बहुओं की भी इज्जत करें उन्हें भी प्यार सम्मान दें अपने बच्चों की तरह. बहुओं को भी समझना चाहिए कि मायके के परिवार(parivar) की तरह यह भी मेरा परिवार(parivar)ही है उतनी केयर और फिक्र करें जितनी की अपने मायके की.हो सकता है मतभेद से बच जाएं.

10–पैसों से रिश्तो को ना तोलें कि एक भाई पर ज्यादा है तो दूसरे पर कम है तो कम वाले का सम्मान इज्जत कम ना करें. इससे भी भाई भाई देवरानी जेठानी  मे मतभेद हो जाता है. इससे बचे ताकि रिश्ता बचा रहे.

11– एक दूसरे से जलन बिल्कुल ना करें.पैसों के कारण भाई-भाई बहन या कोई भी रिश्ता हो उन्हें ना ठुकराए. आपका पैसा आपके लिए है ना कि दूसरों के लिए. पैसों से रिश्तो को ना तोलें.

 पारिवारिक(parivar) मतभेद का कारण चाहें कुछ भी हो यह आपका है तो आप ही को देखना और समझना होगा. रिश्तो का सम्मान करें इज्जत करें परिवार ही एक दूसरे के काम आता है किसी भी प्रकार का मतभेद मन में  ना रखें.

अगर आपको अपनों से प्यार है.. रिश्तो की जरूरत है  तो..सभी मिलकर आगे आए तभी रिश्ते बचेंगे. तो देर किस बात की उठिए बढ़िये और संभालिए…..0r apne parivar ko matbhed se bachaeye.

 आपको मेरा यह लेख कैसा लगा कृपया कमेंट जरूर करें..

 धन्यवाद !! 🙏🙏🙏🙏🙏

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