समझ नहीं पा रही हूं दी की तुम डर क्यों रही हो… सेकंड चांस(second chance) लेने से….कल्पना ने अपनी बड़ी बहन से कहा-तुम्हें सिर्फ एक बार हम सब यही तो कह रहे हैं कि रमन जी से मिल लो.
सेकंड चांस(second chance) लेने में मैं तो कोई बुराई नहीं समझता हूं दी… किसी के जाने से मरने से छोड़ने से जिंदगी खत्म नहीं होती है… छोटे भाई कान्हा ने समझाया.fir second chance se dar kaisa.
हमने सुना ही नहीं है दी बल्कि पूरा पता कर लिया है कि रमन कैसा लड़का है.. कल्पना ने बताया
हां दी..ऑफिस में मोहल्ले में उसका अच्छा रिकॉर्ड है. किसी ने उसकी बुराई नहीं की है….इस बार कल्पना का पति मनोज बोला.
मुझे तो उससे मिलने में कोई बुराई नजर नहीं आ रही है इसलिए हम तुम्हें सेकंड चांस (second chance)लेने की कह रहे हैं… कल्पना फिर बोली उसने अपनी बड़ी बहन रजनी को समझाया.
पता नहीं क्यों हिचकिचा रही हो दी… फिर उसका छोटा भाई कान्हा बोला था.
देख बेटा कब तक पुरानी बातों को लेकर बैठेगी जिंदगी बहुत बड़ी है. तेरी उम्र ही क्या है सिर्फ 27 साल.अपनी नहीं तो अपने बेटे के बारे में सोच उसका क्या होगा… अब कि मां ने समझाया.
मैं उसे पाल लूंगी माँ..मैं ही उसकी माता-पिता बन जाऊंगी.अब मुझ मे हिम्मत नहीं है मां.. वह रूआँसी सी हो गई.. मैं सेकंड चांस(second chance) नहीं ले पाऊंगी प्लीज माँ.
मैं जानती हूं बेटा जो कुछ तेरे साथ हुआ वह किसी के साथ न हो पर बेटा विधाता पर किसी का जोर नहीं है… मां ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरा.
हिम्मत मत हारो दी… हम सब आपके साथ है..बस आप आगे बढ़ कर कोशिश करो. हम सब की बातें समझने की कल्पना बोली.
बस सेकंड चांसe(second chance) लेने के लिए आप आगे बढ़ो सब अच्छा होगा इस बार. कल्पना के पति मनोज ने समझाया.
हां हम सब आपके साथ हैं सब एक साथ बोले.अगर रमन से बात नहीं बनेगी तो बहुत लड़के हैं अभी.
बस बढ़कर आपको निर्णय करना ही होगा इस बार सब अच्छा होगा हम सब ने सोच लिया है.हमारे कहने से आपको सेकंड चांस(second chance) लेना ही होगा..कान्हा बोला.
हां बेटा.. मैं तुम्हें रोता हुआ तड़पता हुआ इस हालत में नहीं देख सकती हूं.अपनी मां की खातिर ही सही सेकंड चांस( second chance)लेना ही होगा.
कैसे समझाऊं तुम सबको कि मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा है. मुझे किसी की जरूरत नहीं है.मैं अपना पूरा जीवन अपने बेटे के साथ बिता लूंगी.
जिद ना करो दी.. रमन से पहले भी हमने तीन लड़के देखे.पर तुम्हारी जिद के कारण सब हाथ से निकल गए इस बार हम रमन को नहीं छोड़ सकते हैं.
पर वही तीन लड़के खुद तुम चारों को पसंद नहीं थे उसने व्यंग कसा…. रजनी चिढ़ कर बोली.
उसकी बात सुनकर कल्पना उसका पति मनोज छोटा भाई कान्हा और मां हंस पड़े.
तो हमने खुद ही उन्हें रिजेक्ट भी कर दिया था.जब हमें उनके बारे में सब पता चला था कि वह और उनके परिवार कैसा है…माँ ने सफाई दी.
क्या गारंटी है कि रमन उस से अलग होगा…रजनी ने पूछा?
अलग है ना तभी तो हम इतना फोर्स कर रहे हैं कि आप सेकंड चांस(second chance) जरूर लें… मनोज बोला.
इस बार हमने पहले से ही सब कुछ देखभाल लिया है…भाई कान्हा ने बताया
रमन भी बहुत घबरा रहा था.. पर हमने उसे भी समझाया सेकंड चांस (second chance)लेने के लिए.. मनोज बोला.
बस आप हां करें तो हम आपके मिलने का वक्त और दिन
फाइनल कर दे…कल्पना बोली
ठीक है वह उकता कर बोली..मिल लूंगी उस से..बोलो क्या करना है… रजनी ने पूछा?
कुछ ज्यादा नहीं करना… कान्हा बोला कल हम शाम को आप दोनों की मीटिंग किसी रेस्टोरेंट में फिक्स कर देते हैं आप दोनों मिल लें और समझ कर अपना जैसा निर्णय हो बता दें.
ताकि आगे का कार्यक्रम किया जाए…मनोज मुस्कुरा कर बोला.
ठीक है और कुछ….उसने पूछा?
हां दीदी एक बात और है…कल्पना बोली
बोल अब क्या रह गया है…उसने झुंझुला कर पूछा?
प्लीज भूतनी की तरह मत जाना उसके सामने..तुम्हें नहीं पता रमन बहुत हैंडसम है कल्पना ने आह भरी काश कि…
काश कि काश क्या..उसके पति मनोज ने उस से बनावटी गुस्से से पूछा..क्या है तुम्हारे मन में….
क्या मैं हैंडसम नहीं हूं.. उसने कल्पना से पूछा
कल्पना हंस पड़ी और बोली हां जी तुम भी रमन से कम हैंडसम नहीं हो…सब उसकी बात सुनकर हंस पड़े
रजनी अपने कमरे में आकर पलंग पर बैठ गई.उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है.वह रमन से मिलना नहीं चाहती थी न हीं दूसरी शादी करना चाहती थी.
क्योंकि पहली शादी से उसे बहुत कटु अनुभव मिले थे.इसलिए वह दोबारा शादी करके सेकंड चांस(second chance) नहीं लेना चाह रही थी.
परिवार उसे समझा रहा था कि सब कुछ भूल कर आगे बढ़े.(second chance le)पर भूलना कहां संभव था.जिंदगी का कटु अतीत राह रोक रहा था.
फिर कुछ गलत हो गया तो क्या होगा..सोचते सोचते खड़ा हो गया उसका अतीत उसके सामने…
जब मैं तुम्हें पसंद नहीं थी तो क्यों शादी की मुझ से रजनी ने सहज से पूछा.. क्यों मेरी जिंदगी बर्बाद की तुमने.
अपने परिवार के दबाव में मैंने तुम से शादी की वरना मैं तुमसे कभी शादी नहीं करता…सहज चिढ़ कर बोला.
तुम मना कर सकते थे कोई छोटे बच्चे नहीं थे तुम.. जो तुमने दबाव में आकर शादी कर ली..रजनी गुस्से में बोली.
पिताजी की तमन्ना थी कि अपने दोस्त को समधी बनाएं.. सहज कुटिल हसी हंसकर बोला.
यह क्यों नहीं कहते कि तुम्हें और तुम्हारे पिता को हमारे पैसों के लालच मैं यह सब करने के लिए मजबूर किया.. क्योंकि तुम सब को पता था कि हमारे यहां से मोटा दहेज मिलेगा इसलिए.
हां हंसा था सहज.. कुटिलता से बोला..तो तुम्हें 4 साल बाद ही सही पर सब समझ आ ही गया चलो अच्छा है और यह सच है रजनी की हमें पता था कि…
तुम्हारी शादी जहां होगी बहुत धूमधाम से होगी.अच्छा खासा दहेज दिया जायेगा..क्योंकि तुम्हारे पिताजी मेरे पिता जी को सब बातें बताते रहते थे. क्योंकि वह उन्हें बहुत अच्छा दोस्त और भाई की तरह मानते थे.
मेरे पिताजी दिमाग के बहुत तेज थे..या यूं कहो कि चालाक भी हंस पड़ा वह.
रजनी की आंखों में आंसू थे…लेकिन सहज को कोई फर्क नहीं था कि वह अपने रिश्ते को विश्वास को तार तार कर रहा था.
और फिर?रजनी ने रोते हुए पूछा..
चलो आज मैं तुम्हें पूरी कहानी बताता हूं.जब पिताजी ने मुझ से जिक्र किया तो हम सब तुम्हारे यहां से रिश्ते को तैयार हो गए क्योंकि पिताजी और हम सब चाहते थे कि तुम्हारे यहां से जो मिले उस से हम ऐशो आराम करें.
यह जानते हुए कि तुम्हारी शादी मंजू से फिक्स हो चुकी थी..रजनी बोली
मुझे यहां आकर सब पता चल चुका था..पर मैंने सोचा तुम्हारी शादी जब मुझ से हो चुकी है तो अब कुछ नहीं हो सकता.. धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा.. रजनी बीच में बोली.
मैं तो इस शादी को तैयार नहीं था.. पर मां पिता जी ही बोले की शादी के कुछ दिन बाद तुम्हें छोड़ देंगे और मैं मंजू से शादी कर लूंगा सहज..कहकहा लगाकर हंसा.
तुम्हारे सीधेपन का हम सब ने भरपूर फायदा उठाया तुम्हारी जैसी संस्कारी समझदार लड़की का.. कटाक्ष किया उसने उस पर हंस कर.
किसी की इज्जत करना संस्कार निभाना सीधापन बेवकूफी नहीं होती है. परिवार से मिले हुऐ संस्कार होते हैं.जो तुम्हें नहीं मिले हैं.तुम सब ने मेरे परिवार को धोखा दिया है. रजनी ने बहस की.
देखो मैं तुमसे बहस नहीं करना चाहता हूं मुझे तुमसे तलाक चाहिए.. सहज बोला.
पागल हो गए हो मैं तुम्हारी पत्नी हूं शादी हुई है तुमसे.. रजनी ने उसे समझाया.
देखो मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता हूं.. सहज बोला.
ऐसा ना कहो सारा समाज क्या कहेगा..
मुझे किसी की परवाह नहीं है… सहज बेपरवाही से बोला.
सहज अब एक बेटा है हमारा..रजनी बोली.. कम से कम उस के बारे में तो सोचो.
क्या करूं तो उसे भी ले जाना… सहज हंस कर बोला.
सहज यह क्या कह रहे हो तुम… उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा.
चुप रहो..बहुत बहस करती हो तुम..कहते हुए दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए उसने रजनी को.
रजनी ने अपनी शादी बचाने की बहुत कोशिश की पर आए दिन मारपीट और पूरे परिवार की जुल्म और ज्यादती ने रजनी को तोड़ दिया.
और उसका और सहज का तलाक हो गया और सहज ने मंजू से शादी कर ली.
पिताजी ने समझा लिया उसे यह कहकर की..उन्हें उनके कर्मों पर छोड़ दो. उनके कर्मों की सजा विधाता देगा.
अचानक 3 वर्षीय बेटे मानस ने उसे आवाज दी..
क्या हुआ माँ क्यों रो रही हो तुम..वह उसके आंसू पोंछने लगा.
नहीं तो उसने अपने आप को संभाला उसे प्यार से अपने पास बिठा लिया.
ना चाहते हुए भी रजनी को कल्पना मनोज और कान्हा के साथ रमन से मिलने जाना पड़ा.
कल्पना ने रेस्टोरेंट में दो टेबल बुक की एक अपने तीनों के लिए और एक रजनी और रमन के लिए और रमन और रजनी आमने-सामने बैठे थे.
जैसा कल्पना ने रमन के बारे में बताया था रमन वैसा ही दिखने मे हैंडसम और मधुर व्यवहार का था.
रमन ने रजनी को देखते ही अपने मन को उसके लिए तैयार कर लिया.रमन ने खाना पीना सब रजनी की पसंद का आर्डर किया रजनी हैरानी से उसे देखने लगी.
क्या हुआ कुछ गलती हुई मुझसे..रमन ने धीरे से पूछा.. जब से आप आई हो कुछ बोल नहीं रहीं हो बस मैं ही बोल रहा हूं.
सोच रही हूं मेरी पसंद का आपको कैसे पता.
वेरी सिंपल कल्पना से मैंने सब पूछ लिया था.
वह बोली और आपकी पसंद.
आपकी पसंद का ही खा लूंगा… रमन बोला.
क्यों? उसने पूछा.
बस यूं ही कुछ धीरे से बोला.. काफी ठंडी हो जाएगी.
आप भी लीजिए रजनी ने काफी का मग उसकी तरफ बढ़ा दिया.
कुछ देर खामोशी छाई रही दोनों अपनी अपनी कॉफी पी रहे थे.फिर कुछ देर बाद रमन ने ही बात शुरू की.
क्यों की कल्पना ने बता रखा था कि दी कुछ नहीं कह पाएगी आपको ही बातें शुरू करना है.
वह तीनों भी उसे दूर से हिम्मत दे रहे थे कि बिना डरे वह बात करें.
आप कुछ बोलेंगी नहीं.. रमन ने उसकी ओर देखते हुए पूछा
क्या बोलना है…रजनी मायूसी से बोली
हम दोनों के घर वाले चाहते हैं कि हम अपना अतीत भूल कर एक दूसरे को जीवनसाथी बना कर जिंदगी में आगे बढ़े और सेकंड चांस (second chance)ले हम दोनों.
रमन की भी पहले शादी हो चुकी थी.पैसे वाले घर की तेज तर्रार उसकी बीवी अपने माता-पिता की पसंद रमन के साथ रहना नहीं चाहती थी.
क्योंकि रमन का सीधा-सरल व्यवहार उसे पसंद नहीं था.लेकिन यही सीधा सरल व्यवहार उसके माता-पिता को भा गया था.आज के जमाने को देखते हुए. लेकिन उसे रमन में सिर्फ बुराई दिखती थी भलाई नहीं.
वह पैसे वाले घर की आधुनिक शैली में ढली हुई थी.देर रात पार्टी की शौकीन थी लेकिन रमन का स्वभाव उस से बिल्कुल उलट था.
रमन के यहां भी पैसे की कोई कमी नहीं थी.लेकिन उसके घर वाले आज भी संस्कार और सभ्यता से जुड़े हुए थे.
इस कारण रोज लड़ाई झगड़ा होने के कारण दोनों का तलाक हो गया.
अगर मैं ना पड़ना चाहूं तो…रजनी ने प्रश्न किया?
तो कोई जबरदस्ती नहीं है रजनी जी.. रमन मुस्कुरा कर बोला
हूं आपको मेरे बारे में सब पता है.. रजनी ने पूछा
जी सब पता है..लेकिन एक बात बता दूं मुझे आप की पिछली जिंदगी मे क्या हुआ मैं कोई मतलब नहीं है.अब वह सब ना हो यह होना चाहिए… से मतलब है.
रजनी चुप रही उसके कोई जवाब नहीं दिया तो रमन ही बोला..
क्या हुआ क्या सोचने लगी आप अगर मैं आपको पसंद नहीं हूं
या आप आगे नहीं बढ़ना चाहती हैं तो कोई बात नहीं है.
जो होगा आपकी मर्जी से होगा बिना आपकी मर्जी के नहीं.रमन बोला
क्यों कुछ नहीं है…कहते हुए तीनों जो पास ही बैठे थे आकर बोले क्या बात है दी.. कान्हा ने पूछा..रमन तुम्हें पसंद नहीं है.
रजनी चुप रही..
बताओ दी.. यह कौन सी बात हुई चुप क्यों हो मनोज ने पूछा..कुछ तो जवाब दीजिए.
रमन को आप पसंद है.. बस आप अपना जवाब दें.कल्पना बोली..मत परेशान होइए हमेशा कभी एक सा नहीं होता है अपने दिमाग से डर निकाल दीजिए.
आगे बढ़िये सेकंड चांस (second chance)के लिए आगे बढ़िये हम सब आपके साथ हैं.
मेरी तबीयत ठीक नहीं है घर चलो कहकर..वह उठकर जाने लगी.
तो मनोज और कल्पना भी उसके साथ हो लिए अब रमन और कान्हा थे जो बात करने लगे रमन उदास हो गया.
मायूस ना हो रमन जी सब ठीक होगा. दी.. परेशान है पुराना कुछ भूल नहीं पा रही है पर धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा.
एक बात पूछूं.. तुमने रमन ने पूछा.
हां पूछिए…कान्हा बोला.
तुम्हे मेरे बारे में यह सब पता है और तुमने अपनी दीदी के बारे में भी सब बता दिया है तो मेरे बारे में तुम्हारी दीदी को सब पता है.
अभी नहीं.. रमन जी दरअसल दीदी कुछ सुनना ही नहीं चाहती हैं पर मां और हम सब चाहते हैं कि दीदी आगे बड़े सेकंड चांस (second chance)ले.
दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके साथ मैरिज लाइफ
में कुछ ना कुछ हो जाता है कुछ आगे बढ़ जाते हैं(second chance lete hain) तो कुछ अपनी अलग सोच के साथ जीते हैं और जिंदगी गुजारते हैं.
पर हम सब चाहते हैं कि दी और आप आगे बढ़े.(second chance le)
तुम ठीक रहते हो कान्हा अगर तुम्हारी दीदी मान जाती है तो विश्वास रखना मेरे भाई मैं उसे कभी दुख नहीं दूंगा.उसकी आंखें भर आई.
जानता हूं सुना है आपके बारे में मैंने सब.. कान्हा ने कहा
अब मेरे लिए क्या हुक्म है तुम्हारी दीदी तो चली गई मैं भी घर चलूं मां पापा घर में इंतजार कर रहे होंगे कि क्या हुआ यहां.
ठीक है आप घर जाएं जल्द सब ठीक होगा मां और हम सब राजी है बस दी..मान जाए.
मुझे जल्दी नहीं है अगर तुम्हारी दीदी की इच्छा होगी तभी बात आगे बढ़ेगी वरना नहीं उसकी इच्छा मेरी इच्छा.
तो आपको दी पसंद है..कान्हा मुस्कुराया
हां वो निःसंकोच बोला.. मैं तुम्हारी दी का इंतजार करूंगा.दोनों मुस्कुराकर अपने घर को निकल गए.
एक हफ्ता बीत गया रजनी की तबीयत खराब हो गई थी बुखार ठीक नहीं हो रहा था.वह अपने कमरे पड़ी थी. माँ ने नाश्ता लाकर दिया तो खाया नहीं माँ जबरदस्ती खिलाने लगी.
नहीं माँ बिल्कुल मन नहीं है कुछ भी खाने का रजनी ने मां से कहा.
ऐसे कमजोर हो जाएगी बेटा जाकर दवा ले आ.डॉक्टर को कहे तो घर ही बुला लूँ.
नहीं मां मैं ही दिखा आता हूं.रजनी ने कपड़े बदले और
डॉक्टर की क्लीनिक में आ गई दिखाने के बाद वह एक बेंच पर आकर बैठ गई. उसे चक्कर आ रहे थे.
उसने उठने की कोशिश की तो उठ नहीं पाई सामने से तभी रमन अपनी मां को साथ लेकर निकला.वह उनका डेली रूटीन चेक करने आया था.
रजनी को यूं बैठा देखकर वो चौंक गया.
उसने मां को सामने बैठी रजनी को दिखाते हुये सब बात बता दी. मां रजनी की फोटो देख चुकी थी तुरंत पहचान गई.
जा देख उसे क्या हुआ.
पर माँ तुम..
मैं तो ठीक हूं पगले उसे तेरी जरूरत है.
पहले मैं तुम्हें घर पहुंचा दू.
मैं अपने आप टैक्सी लेकर चली जाऊंगी. तू उसके पास जाकर उसे देख जैसा हो मुझे फोन करके बता देना
पर मां…वो हिचकीचा रहा था.
मैं कह रही हूं ना कि तू जा उसके पास कह कर वह आगे बढ़ गई और रमन रजनी के पास आकर बैठ गया.
उसने डरते हुए आंख बंद किए हुए रजनी के माथे को छुआ माथा बुखार से तप रहा था. अचानक रजनी स्पर्श पाकर चौक गई.
उसने आंख खोलकर सामने देखा.. उसके सामने रमन खड़ा था.
तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है क्या तुम अकेली यहां आई हो.
हां माँ कह रही थी मैंने उन्हें मना कर दिया.
बाकी सब कहां थे….उसने पूछा.
सब अपने ऑफिस गए हैं मैंने हीं उन्हें बुलाने से मना कर दिया
चलो मैं तुम्हें घर छोड़ दूं.
नहीं मैं चली जाऊंगी उसने उठने की कोशिश की तो गिरते गिरते बची.तो रमन ने उसे बढ़ाकर संभाल लिया.
मैं ठीक हूं आप परेशान ना हो उसने उठने की फिर कोशिश की.
दिख रहा है आप ठीक है कह कर उसने रजनी का हाथ पकड़ कर उठाया और सहारा देकर बाहर ले आया और गाड़ी में बिठा कर उसे घर ले आया और सहारा देकर उसे उसके कमरे में ला कर पलंग पर लिटाया.
मां आ चुकी थी रमन ने उसे सब बता दिया रमन से वह पहले मिल चुकी थी.
रमन उसे छोड़कर दवा लेकर आया और उसने अपने हाथों से रजनी को दवा खिलाई. रजनी बुखार से तप रही थी.
मां ने पानी की पट्टी रखी तो उनसे लेकर अमन उसके माथे पर पानी की पट्टी रखने लगा.
इस बीच सब घर आ गए सब उसे देखकर मुस्कुरा पड़े.
सब खुश थे क्योंकि रमन सहज से एकदम अलग था.रजनी के बीमार पड़ने पर सहज कहा करता था बहाना करती हो.कह कर उसे तड़पता छोड़ जाता था.
पर रमन को देखकर लग रहा था कि रमन खुद उसकी परेशानी से तड़प रहा है.
रमन को रात में सब ने घर पर ही रोक दिया.रमन ने पूरी रात रजनी का ध्यान रखा सुबह रजनी के जागने से पहले वह चला गया.
रजनी सुबह उठी तो सब ने उसे रमन के बारे में बताया कि कैसे उसने पूरी रात उसकी देखभाल की.
यह सुनकर उसके चेहरे पर आश्चर्य था.
सभी रमन का यह रूप देखकर उसकी तारीफ कर रहे थे.
देखा तूने कितना फर्क है सहज और रमन बहुत अच्छा लड़का है बेटा हां कर दे पहाड़ सी जिंदगी है तेरे आगे… मां ने प्यार से उसे समझाया
तुम्हें तो थैंक्स बोलना चाहिए रमन को… कल्पना बोली.
मेरी तरफ से तू उसे थैंक्स कह देना.रजनी ने आँख बंद कर किए हुए कहा.
हे भगवान अब तू ही इस लड़की को समझा पता नहीं क्या हो गया है..इसे कहते हुए मां कमरे से बाहर निकल गई.
धीरे-धीरे 1 साल बीत गया रजनी अपने आप को संभाल चुकी थी.वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने लगी शाम को छुट्टी होने के बाद वह अपनी धुन में मगन रास्ते में जा रही थी.
अचानक पीछे से आने वाली एक गाड़ी ने उसे जोर से टक्कर मारी उसकी गाड़ी की टक्कर से वह एक तरफ जा गिरी और बेहोश हो गई.
गाड़ी वाला टक्कर मार कर भाग चुका था.उसके पीछे गाड़ी रमन चला रहा था. उसने तुरंत गाड़ी रोकी और भीड़ इकट्ठी हो गई थी.
उसने आगे बढ़कर देखना चाहा की कौन है. लेकिन रजनी
को बेहोश देखकर वो घबरा गया.
उसे उठाकर वो तुरंत अस्पताल भागा एडमिट करवाया उसने घर पर फोन करके बता दिया सब आ गए. वह रोये जा रहा था.
रजनी को कुछ नहीं होगा मत घबरा.. उसकी मां ने उसे समझाया.
रजनी पूरी रात बेहोश रही.पूरी रात उसने उसकी देखभाल की सुबह रजनी को होश आया तो देखा कि किसी के हाथ में उसका हाथ था.
रमन रातभर जागे होने के कारण बेड पर सिर रख कर उसका हाथ थाम कर ही सो गया था.
बहुत देर तक वह रमन को देखते रही.पता नहीं क्यों उसका दिल धड़कने लगा.
क्योंकि कुछ दिन पहले ही कल्पना ने उसे बताया था कि रमन उसके सिवा किसी से शादी नहीं करना चाहता है और तीन रिश्ते उसने ठुकरा दिए रजनी के कारण.
रजनी ने धीरे से अपना हाथ हटाना चाहा तो स्पर्श से रमन जाग गया.उसका हाथ अपने हाथों में देखकर झेप गया वो.
वह पता नहीं कभी यह सब..रमन इसके हिचकीचा कर बोला
क्या..रजनी ने पूछा?
प्लीज नाराज मत होना कहते हैं हुए उसने उसका हाथ छोड़ दिया.रजनी इस बार मुस्कुरा दी.
अब कैसी हो तुम रमन ने पूछा
अच्छी हूं पर आप यहां.. रजनी ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा.
रमन ने उसे बताया कि कैसे उसे टक्कर लगी कैसे वह उसे लेकर यहां आया.
थैंक्स आपने मेरी जान बचाई रजनी ने कहा
थैंक्स तो तुम्हें है कि मेरी जान बच गई..रमन बोला
क्या मतलब…
क्या मतलब.. क्या रमन आपको बहुत चाहता है दी मनोज अंदर आते हुए बोला. विश्वास कीजिए ये आपको बहुत चाहता है आप से शादी करना चाहता है और आपको बहुत खुश रखेगा.
इसने आपकी जान बचाई है पूरी रात आपकी देखभाल की रोता रहा आपके लिए कान्हा बोला.. अगर कोई और होता तो आपके न करने पर अब तक शादी कर लेता पर उसने ऐसा नहीं किया.
बोलो दीदी अब तो हां कह दो..कल्पना बोली.
ठीक है जैसा तुम सब ठीक समझो रजनी धीरे से बोली.वह रमन को जान चुकी थी कि सहज रमन में जमीन आसमान का अंतर है.
सच..सब खुशी से उछल पड़े.रमन उसे दीवानों की तरह देखे जा रहा था.यह देखकर रजनी शरमा गई.
दोनों की शादी को 3 साल बीत गए रजनी रमन से शादी करके बेहद खुश थी.उसके बेटे को रमन और उसके परिवार ने अपना लिया था.इस बीच रजनी एक बेटी की मां बनी आज उसका नाम-करण था.घर में सब बहुत खुश थे.
रजनी के माँ भाई बहन मनोज भी आए थे मां ने आते ही रजनी से पूछा.
तू खुश तो है ना बेटा.. उन्होंने उसे निहारते हुए पूछा.
हां माँ बहुत…उसकी आंखें छलक गई.
जानती हूं तुझे डर था. क्या होगा पर बेटा हमेशा एक सा कुछ नहीं होता है सब ऊपर वाले की मर्जी है बेटा. मां ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराया.
रमन बहुत अच्छे हैं मां मैंने सपने में भी नहीं सोचा था रजनी..बोली
मैं भी बहुत डर रहा था.. की पता नहीं क्या होगा.रमन ने अंदर आते हुए कहा… मेरे दोस्त मनोज और कान्हा के कारण में यह सेकंड चांस (second chance)ले पाया तो तुम मुझे मिल गई
मैं बहुत खुश हूं तुम्हें पाकर उसने उसका हाथ पकड़ कर यह सब बहुत ही मासूमियत से कहा तो…. सब हंस पड़े.
आपको मेरी लिखी हुई है स्टोरी (second chance)कैसी लगी कृपया कमेंट करके जरूर बताएं.
धन्यवाद !!
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[…] भगवान धन्वंतरि का आयुर्वेद मे बहुत बड़ा स्थान माना जाता है. […]