Diwali 2025- दिवाली का त्यौहार पूरे देश में बेहद खुशी और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दिवाली खुशियों और रोशनी का त्यौहार है.
हिंदू धर्म मे दिवाली का बहुत ही महत्व माना जाता है.
दिवाली(Diwali 2025) का त्यौहार पुरानी मान्यताओ और पौराणिक घटनाओं के आधार पर भगवान श्री राम जी की रावण पर विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है.
बुराई पर अच्छाई की जीत अंधेरे पर रोशनी का प्रतीक है दिवाली.
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि,श्री राम जी की 14 साल का वनवास काटने के बाद और रावण पर विजय प्राप्त करने के पश्चात..
तब ही से दिवाली(Diwali 2025) के इस त्यौहार मे दीप को जलाने की परंपरा खुशी के रूप में शुरू हुई और इस त्यौहार को मनाया जाने लगा.
दिवाली(Diwali 2025) 5 दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार है. जो कि धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर पूर्ण होता है.
पहले दिन धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है.
दूसरे दिन यमराज की पूजा की जाती है यम दिया जला कर जो की नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
तीसरे दिन की दिवाली(Diwali 2025) की मुख्य पूजा की जाती है.जिस में लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है.
चौथे दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है जिस मे भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है.
इस दिन उन्हें अन्नकूट की सब्जी और पुरी का भोग लाया गया जाता है.
और पांचवें दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता
है. इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए तिलक लगा कर पूजा करती है.
इस बार दिवाली यानी की 2025 में दिवाली का त्यौहार पर तिथियां को लेकर बहुत ही अजमंजस है.
तो चलिए जानते हैं कि किस तारीख को दिवाली(Diwali 2025) मनाई जाएगी और मनाना शुभ है. क्या है शुभ मुहूर्त समय और कैसे करना है लक्ष्मी गणेश जी का पूजन…
शास्त्रों के अनुसार दिवाली(Diwali 2025) का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जो कि इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर 2025 को है.
यह 3 बज कर 44 मिनट से शुरू हो कर 21 अक्टूबर शाम को 5:54 मिनट तक रहेगी.
इसी कारण से इस बार दिवाली का त्यौहार भी 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.
स्नान दान करने के लिए अमावस्या की तिथि 21 अक्टूबर को सही मानी जाएगी यानी की 21 अक्टूबर को आप स्नान और दान कर सकते हैं.
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है..20 अक्टूबर 2025 को शाम को 07:08 से 8 बज कर 18 मिनट तक..
फिर प्रदोष काल 5:46 से 8:18 तक है.वृषभ काल 7:05 ले कर से 9:01 बजे तक है.
कैसे करना है लक्ष्मी पूजन और क्या हो सामान…
इस दिन शुभ समय पर एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर लक्ष्मी गणेश कुबेर सरस्वती हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें.
मूर्तियां मिट्टी की होनी चाहिए मिट्टी की मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं.
एक थाली में अपनी श्रद्धा अनुसार 11 21 51 या फिर जितने मन हो दिए घी या सरसों के तेल के बना कर तैयार करें.
खील बताशे मिठाई रोली चावल जल धूप दीप फल फूल कुछ सिक्के और नोट रख कर विधि विधान के अनुसार अर्पित करें.
पूरा परिवार बैठ कर शांति पूर्वक और खुशी से लक्ष्मी पूजन करें.
एक दूसरे को तिलक लगाए छोटे अपने बड़ों के चरण स्पर्श कर के उन से आशीर्वाद लें और सब मिल कर इस त्यौहार को खुशी-खुशी धूमधाम से मनायें.
Disclaimer… यह लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं के आधार पर आधारित है.कृपया पंडित जी या ज्योतिषाचार्य जी की सलाह लेकर जब करें.