बच्चों की जिद पूरी करके आप उनकी आदत बिगाड़े नहीं

जो बड़े होकर आप पर ही भारी हो जाए

सभी अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं उन्हें सब कुछ उपलब्ध कराना चाहते हैं

होना भी चाहिए हर मां-बाप का फर्ज होता है और फर्ज पूरा करना भी चाहिए लेकिन एक हद तक

अक्सर बच्चे समझदार नहीं होते उनकी जिद पूरी होने पर उन्हें इसकी आदत हो जाती है

तो फिर अपनी जिद मनवाने की पूरी कोशिश करते हैं

बचपन की आदतें बड़ी मुश्किल से छुटती है

जब परेशानियां होती हैं तो मां-बाप एक दूसरे पर दोषारोपण करते हैं

बचपन में अच्छा लगता है पर आगे बड़े होकर यही पीड़ा का कारण बन जाता है

पहले आप खुद आदते डालते हैं फिर मारते पीटतें हैं और परेशान होते हैं

प्यार कीजिए बच्चों को पर थोड़ी समझ भी दीजिए थोड़ी शिक्षा और संस्कार भी दीजिए

ताकि जब आपके बच्चे बड़े हो तो आपको पीड़ा परेशानी नहीं खुशियाँ मिलें