बिछिया को सुहागिन स्त्री धारण करती है.

इसे स्त्री के सोलह सिंगार में से एक माना जाता है.

यह विवाह की निशानी के रूप में पहचाना जाता है.

शादी के बाद इसे पहना जाता है.पैरों की दो और तीन उंगलियों में बिछिया पहना जाता है .

इसके कई सारे ज्योतिषीय लाभ भी होते हैं.

बिछिया पहनने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

इसे पहनने से वैवाहिक संबंध अच्छे बने रहते हैं.

माना जाता है कि जिस उंगली में बिछिया पहना जाता है उसका सीधा संबंध हृदय से होता है.

चांदी का बिछिया चांदी का होने के कारण चंद्रमा का कारक माना जाता है. इससे विवाहित जीवन में सुख शांति बनी रहती है.

चांदी की धातु को शरीर के लिए अच्छा और शुभ माना जाता है.

ज्योतिष के अनुसार चांदी नकारात्मक ऊर्जा दूर करती है सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है.

चांदी धातु की तासीर ठंडी मानी जाती है जो मन को शांत और शीतलता प्रदान करती है.

बिछिया हमेशा चांदी के धारण करने चाहिए सोने के नहीं पहनने चाहिए.

सोने का संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है इसकी पूजा की जाती है.

इसीलिए पैरों में सोने की बिछिया और पायल नहीं पहननी चाहिए.